Tuesday, November 3, 2015

भगवान तुम्हे अब क्या बोलें

हमें छोड़ दिया भगवान् तुम्हे अब क्या बोलें
दिल तोड़ दिया भगवान् तुम्हे अब क्या बोलें

गाते थे हम गीत तुम्हारे
लगते थे तुम सबसे प्यारे
हम सब की आंखों के तारे
अब तो हमरी टूट गयी सब आस
तुम्हे अब क्या बोलें

तुम्हरे बल पर सबको हाँका
करना पड़ गया लेकिन फाका
तारे गिन गिन बीती राका
अब तो हमको खानी पड़ रही घास
तुम्हे अब क्या बोलें

गिरे पड़े तुम्हे नहीं सुहाते
गुणीजनों के ही घर जाते
करे स्वांग फिर झूठा खाके
शबरी क्या लगती थी तुम्हरी सास
तुम्हे अब क्या बोले

रावण ले गया सीता माई
तब फिर उसकी शामत आई
पहिले सोते ओढ़ रजाई
तन्द्रा टूटी जाकर उसके बाद
तुम्हे अब क्या बोलें

कोई जापे कोई तापे
चाहे कितनी पोथी बांचे
अगर नहीं फिर तुमको जाँचे
तो फिर सब कुछ गुड़ गोबर बक़वास
तुम्हे अब क्या बोलें

नर्क स्वर्ग भय लोभ दिखाया
खिन्नजनों पर प्यार लुटाया
माया से फिर मूर्ख बनाया
अपनों का फिर किया खूब उपहास
तुम्हे अब क्या बोलें

बिना अक्ल कैसे कह पाता
दिल का दर्द न बाहर आता
कलम प्रेरणा तेरी दाता
अब तो पूरण कर दो सब की आस
तुम्हे अब क्या बोलें

घुमड़ते बादल........

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